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07 January, 2021

गिनती के दिन | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | नवगीत संग्रह | आंसू बूंद चुए

Dr (Miss) Sharad Singh

एक और नवगीत मेरे नवगीत संग्रह "आंसू बूंद चुए" से ...

गिनती के दिन
   - डाॅ (सुश्री) शरद सिंह

उंगली के पोर
और
गिनती के दिन।

अनसुलझे
चंद प्रश्न
हाथ में उगे
पथरीले
दुख-दर्द
हो गए सगे

मुट्ठी भर शोर
और
चुप्पी अनगिन।

सारे सुख
पंक्तिबद्ध 
भेंट चढ़ गए
खपरैली
चाहत के
बिम्ब थे नए

पलकों की कोर
और
चुभते पल-छिन।
     --------

(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)

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Dr (Miss) Sharad Singh, Navgeet, By Ansoo Boond Chuye - Navgeet Sangrah




8 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०९-०१-२०२१) को 'कुछ देर ठहर के देखेंगे ' (चर्चा अंक-३९४१) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  2. अनीता सैनी जी,
    मेरा नवगीत चर्चा मंच में शामिल के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार !!!
    यह मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है।
    - डॉ. शरद सिंह

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  3. बहुत सुंदर रचना,शरद दी।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार ज्योती देहलीवाल जी 🌹🙏🌹

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  4. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद विश्वमोहन जी 🙏🌷

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    सादर

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    1. आभारी हूं आपकी टिप्पणी के लिए 🌹🙏🌹

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