जब से
दुख ने नाता जोड़ा
सपने चूर हुए
अपनों से
लगने वालों के
मुखड़े दूर हुए।
नागफनी-सा
दर्द उभर कर
मन में घाव उकेरे
भरी दुपहरी
घिर-घिर आए
पलकों तले अंधेरे
जब से
सबने रस्ता छोड़ा
घर नासूर हुए
सूने से
आंगन में ठंडे
दिन तंदूर हुए।
टुकड़ा-टुकड़ा
होता जीवन
हाथों फिसला जाए
पोर-पोर पर
दुखती चाहत
गुमसुम गीत सुनाए
आंगन में ठंडे
दिन तंदूर हुए।
टुकड़ा-टुकड़ा
होता जीवन
हाथों फिसला जाए
पोर-पोर पर
दुखती चाहत
गुमसुम गीत सुनाए
जब से
सूरज हुआ निगोड़ा
रंग बेनूर हुए
छाया से
लगते ये रिश्ते
नामंज़ूर हुए।
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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)
#नवगीत #नवगीतसंग्रह #आंसू_बूंद_चुए
#हिन्दीसाहित्य #काव्य #Navgeet #NavgeetSangrah #Poetry #PoetryBook #AnsooBoondChuye
#HindiLiterature #Literature
लगते ये रिश्ते
नामंज़ूर हुए।
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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)
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#हिन्दीसाहित्य #काव्य #Navgeet #NavgeetSangrah #Poetry #PoetryBook #AnsooBoondChuye
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छाया से लगते ये रिश्ते नामंज़ूर हुए । बहुत ख़ूब शरद जी !
ReplyDeleteदिली शुक्रिया जितेन्द्र माथुर जी 🌹🙏🌹
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(२३-०१-२०२१) को 'टीस'(चर्चा अंक-३९५५ ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
अनीता सैनी जी,
Deleteमेरे नवगीत को आपने चर्चा मंच में स्थान दिया है, यह मेरे लिए अत्यंत सुखद है।
आपका हार्दिक आभार एवं हार्दिक धन्यवाद 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
अतिसुंदर रचना
ReplyDeleteशकुंतला जी हार्दिक धन्यवाद 🌹🙏🌹
Deleteजब से
ReplyDeleteसूरज हुआ निगोड़ा
रंग बेनूर हुए
छाया से
लगते ये रिश्ते
नामंज़ूर हुए।
–बहुत खूब
उम्दा भावाभिव्यक्ति
हार्दिक धन्यवाद विभा रानी श्रीवास्तव जी 🌹🙏🌹
Deleteबहुत खूबसूरत सृजन ।
ReplyDeleteमन स्पर्शी अभिव्यक्ति।
सरस गेयता ।
कुसुम कोठारी जी हार्दिक धन्यवाद 🌹🙏🌹
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद अभिलाषा जी 🌹🙏🌹
Deleteहृदयस्पर्शी भावों से सजा सरस नवगीत । बहुत सुन्दर शरद जी!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मीना भारद्वाज जी 🌹🙏🌹
Deleteनागफनी-सा
ReplyDeleteदर्द उभर कर
मन में घाव उकेरे
भरी दुपहरी
घिर-घिर आए
पलकों तले अंधेरे
बहुत बहुर सुन्दर