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10 January, 2021

बांझ नींदों में | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | नवगीत संग्रह | आंसू बूंद चुए

Dr (Miss) Sharad Singh

एक और नवगीत मेरे नवगीत संग्रह "आंसू बूंद चुए" से ...

बांझ नींदों में

- डाॅ सुश्री शरद सिंह


बांझ नींदों में

सपन होते नहीं।


बंद पिंजरों से 

सुआ-मन

गौर से आकाश देखे

टिमटिमाते

छल-कपट के भाग-लेखे


दर्द के चेहरे

वृथा रोते नहीं।



रिक्त आंखों के 

धुंधलके

रास्ते के पोर गिनते

कसमसाते 

बचपने की याद बुनते


देह पानी में

मगर गोते नहीं।



जब उदासी ने 

पिरोए

ज़िन्दगी के वर्ष-महिने

छटपटाते

टीस के एहसास पैने


बंजरों में वन

कभी बोते नहीं।

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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)


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Dr (Miss) Sharad Singh, Navgeet, By Ansoo Boond Chuye - Navgeet Sangrah





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