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18 December, 2020

सून में निचाट में | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | नवगीत | संग्रह - आंसू बूंद चुए

 

Dr (Miss) Sharad Singh

सून में निचाट में

- डाॅ (सुश्री) शरद सिंह


धूल है ललाट में

क़िस्मत ने डाल दिया

चक्की के पाट में।


खण्डहर-सी

ज़िन्दगी

टूटता पलस्तर

अस्मत की

कोट का

उधड़ गया अस्तर


दर्दों की लाट में

त्राहि-त्राहि करता मन

सून में, निचाट में।


आंगन के 

बीच में

मेंहदी की बाड़

बैर भाव

झांकता

छप्पर को फाड़


तौल और बांट में

पर्दा ही शेष बचा

टूटे कपाट में।


असगुन की

आहटें

और दिया बासी

रात-रात

जागती

बाबा की खांसी


आंसू के घाट में

भूख के तपेदिक ने

डाल दिया खाट में।

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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)

Soon Me Nichat Me - Dr (Miss) Sharad Singh, Navgeet, By Ansoo Boond Chuye - Navgeet Sangrah

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