Dr (Miss) Sharad Singh |
दर्द लिखे बूटे
- डाॅ (सुश्री) शरद सिंह
मन के रूमाल पर
दर्द लिखे बूटे।
रिक्शे का पहिया
गिने
तीली के दिन
पैडल पर पैर चलें
तकधिन-तकधिन
भूख करे तांडव
थकी देह टूटे।
अनब्याही बिटिया
सुने
बेबस रुनझुन
अहिवाती कंगन को
खाते हैं घुन
ड्योढ़ी का दर्पण
इंच-इंच फूटे।
चिल्लर की दुनिया
बुने
सपनों के घर
झुग्गी के तले उगे
रिश्ते जर्जर
दारू की बोतल
शेष भाग लूटे।
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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)
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मार्मिक गीत..
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद विक्रांत सिंह जी !!!
Deleteसारगर्भित सुन्दर रचना..
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा सिंह जी !!!
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 29 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteप्रिय दिव्या अग्रवाल जी,
Deleteमेरा नवगीत पांच लिंकों का आनंद में शामिल के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार !!!
यह मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है।
प्रिय बहन डाॅ (सुश्री) शरद सिंह,
ReplyDeleteनवगीत के प्रमुख हस्ताक्षरों में आपका नाम भी शुमार है। यहां ब्लॉग पर में अपने नवगीत साझा कर आप ब्लॉग पाठकों को उत्कृष्ट पठन सामग्री दे रही हैं। बहुत शुक्रिया 💐🙏🏻💐
हार्दिक शुभकामनाएं एवं आशीष,
डॉ. वर्षा सिंह
प्रिय वर्षा दी,
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार ...
आपकी टिप्पणी मेरे लिए महत्वपूर्ण है...- डॉ. शरद सिंह
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी सृजन
ReplyDeleteइस अमूल्य टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद चौहान जी !!! 🌹🙏🌹
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