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27 December, 2020

दर्द लिखे बूटे | आंसू बूंद चुए | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | नवगीत संग्रह

Dr (Miss) Sharad Singh


 






दर्द लिखे बूटे

   - डाॅ (सुश्री) शरद सिंह


मन के रूमाल पर

दर्द लिखे बूटे।


रिक्शे का पहिया

गिने

तीली के दिन

पैडल पर पैर चलें

तकधिन-तकधिन


भूख करे तांडव

थकी देह टूटे।


अनब्याही बिटिया

सुने

बेबस रुनझुन

अहिवाती कंगन को

खाते हैं घुन


ड्योढ़ी का दर्पण

इंच-इंच फूटे।


चिल्लर की दुनिया

बुने

सपनों के घर

झुग्गी के तले उगे

रिश्ते जर्जर


दारू की बोतल

शेष भाग लूटे।

     --------


(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)


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Dr (Miss) Sharad Singh, Navgeet, By Ansoo Boond Chuye - Navgeet Sangrah




11 comments:

  1. Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद विक्रांत सिंह जी !!!

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  2. सारगर्भित सुन्दर रचना..

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    1. हार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा सिंह जी !!!

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 29 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. प्रिय दिव्या अग्रवाल जी,
      मेरा नवगीत पांच लिंकों का आनंद में शामिल के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार !!!
      यह मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है।

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  4. प्रिय बहन डाॅ (सुश्री) शरद सिंह,
    नवगीत के प्रमुख हस्ताक्षरों में आपका नाम भी शुमार है। यहां ब्लॉग पर में अपने नवगीत साझा कर आप ब्लॉग पाठकों को उत्कृष्ट पठन सामग्री दे रही हैं। बहुत शुक्रिया 💐🙏🏻💐

    हार्दिक शुभकामनाएं एवं आशीष,
    डॉ. वर्षा सिंह

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    1. प्रिय वर्षा दी,
      बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार ...
      आपकी टिप्पणी मेरे लिए महत्वपूर्ण है...- डॉ. शरद सिंह

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  5. हृदयस्पर्शी सृजन

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    1. इस अमूल्य टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद चौहान जी !!! 🌹🙏🌹

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