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22 December, 2020

पिंजरे में बेचैन सुआ | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | नवगीत | संग्रह - आंसू बूंद चुए

Dr (Miss) Sharad Singh


पिंजरे में बेचैन सुआ

   - डाॅ (सुश्री) शरद सिंह


गीली लकड़ी

भीगी आंखें

धुंआ-धुंआ

छप्पर सारी रात चुआ।


सिलवट वाले 

बिस्तर पर

बूंद-बूंद कर 

असगुन छाया

   मन का 

   कच्चा फर्श सिताया


उधड़ी सीवन

फूटी क़िस्मत

धुंआ-धुंआ

पिंजरे में बेचैन सुआ।


दस्तक वाली 

चैखट पर

सन्नाटे ने 

भीड़ लगाया

    घर का

    औंधापन गहराया 


सूनी देहरी

टूटा दरपन

धुंआ-धुंआ

हरदम बेहद बुरा हुआ।

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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)


Pinjare Me Bechain Suaa - Dr (Miss) Sharad Singh, Navgeet, By Ansoo Boond Chuye - Navgeet Sangrah




2 comments:

  1. उधड़ी सीवन
    फूटी क़िस्मत
    धुंआ-धुंआ
    पिंजरे में बेचैन सुआ।

    मर्मस्पर्शी

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    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद कविता रावत जी 🌹🙏🌹

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