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20 December, 2020

टूटती उड़ान | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | नवगीत | संग्रह - आंसू बूंद चुए

Dr (Miss) Sharad Singh


टूटती उड़ान

- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

पथरीली रातें 
और दिवस बंजर।

बंधुआ-सी 
देह रहे 
हरदम बीमार 
लोटे भर 
शोक और 
चुल्लू भर हार

अनुभूति घातें 
रचें खेल दुष्कर।

बाबा के
गमछे में 
टीस भरी गंध 
अपनों ने 
फूंक दिए 
नेह के प्रबंध

जुदा-जुदा बातें 
अलग-अलग आखर।

सकुचाई 
उम्मीदें 
टूटती उड़ान 
तिनकों की 
झोपड़ी 
फूस का मचान

टुकड़ों-सी गातें
और दुखी छप्पर।

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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)

8 comments:

  1. मन में कसक जगाता हृदयस्पर्शी सृजन । अत्यंत सुन्दर।

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    1. हार्दिक धन्यवाद मीना भारद्वाज जी 🌹🌷🙏🌷🌹

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  2. सकुचाई
    उम्मीदें
    टूटती उड़ान
    तिनकों की
    झोपड़ी
    फूस का मचान...
    दार्शनिक अंदाज की रचना बेहतरीन रचना आदरणीया शरद जी।

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  3. हार्दिक धन्यवाद पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी 🌷🙏🌻

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  4. बहुत ही बेहतरीन लिखा ...

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    1. दिली शुक्रिया सदा जी 🌷🙏🌷

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  5. नपे-तुले शब्दों में इतनी बड़ी व्यथा का सजीव चित्रण ! गागर में सागर !

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    1. हार्दिक धन्यवाद जितेन्द्र माथुर जी 🌷🙏🌻

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