बर्फीली रात
- डॉ शरद सिंह
खिड़की की
ठंडी
सलाखों के बाहर
टहलती
बर्फीली रात
देख रही
बर्फ के सिक्के
जैसा चांद
जो लगा है
पिघलने
यादों की आंच से
मिलेगी अब तो
ओस-भीगी सुबह।
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