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26 October, 2020
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं | डॉ शरद सिंह
22 October, 2020
स्त्रीपाठ - 4 | वह स्त्री है | डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह | कविता
21 October, 2020
स्त्रीपाठ -3 | स्त्री हो कर | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | कविता
स्त्रीपाठ -3
स्त्री हो कर
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
वह गुड़िया
वह निर्भया
शब्द मासूम और बहादुर
किसी लॉलीपॉप की तरह
वह तो जूझ रही है हर दिन
घर और बाहर फैले
कामपिपासुओं के जंगल-राज से
उसे दे सकते हो तो दो
एक सुरक्षित समाज
जहां वह ले सके
एक निश्चिंत सांस
स्त्री हो कर।
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19 October, 2020
स्त्रीपाठ - 2 | स्त्री से | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | कविता
स्त्री से
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
वह जल की तरह
ढल जाती है उस आकार में
जो तुम देते हो-
पाषाण-अहिल्या
परितक्त्या-गर्भवती-सीता
पंचपति-द्रौपदी
उर्वशी या रंभा
देवताओं और मनुष्य के हाथों
छले जाने, शापित होने पर भी
जल की भांति बने रहना
कोई सीखे
स्त्री से।
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18 October, 2020
स्त्री पाठ - 1 | एक स्त्री में | डॉ (सुश्री) शरद सिंह |कविता
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- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
कभी पढ़ो एक स्त्री को
दुर्गा सप्तशती की तरह
तब एहसास होगा
एक स्त्री में
देवीत्व का।
कभी देखो एक स्त्री को
मंगलदीप में प्रदीप्त
बाती की तरह
तब दिखेगा रूप
एक स्त्री में
देवीत्व का।
कभी सोचो एक स्त्री को
अपने पवित्र विचारों
की तरह
तब महसूस होगा
एक स्त्री में
देवीत्व का।
किसी एक नवरात्रि में
पहचानना सीखो तो
एक स्त्री को
पुरुषवादी चश्मा उतार कर।
तब कहना-
'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः'।।
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