पृष्ठ

23 May, 2020

दिन कैसा ये दिखलाया - डॉ शरद सिंह, वेब मैगजीन 'युवाप्रवर्तक' में प्रकाशित ग़ज़ल

 web magazine युवा प्रवर्तक ने मेरी ग़ज़ल अपने  दिनांक 23.05. 2020 के अंक में प्रकाशित किया है। 
🚩युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
आप इस Link पर भी मेरी इन रचनाओं को पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=33412
-----------------------------------
प्रवासी मजदूरों की व्यथा कथा कहती ग़ज़ल...

*दिन कैसा ये दिखलाया*
- डॉ शरद सिंह 

छूट गई है रोज़ी-रोटी, छूट गई छत की छाया।
महानगर के पत्थर दिल ने, दिन कैसा ये दिखलाया।

कर लेते थे घनी-मज़ूरी, सो रहते थे खोली में
हमने वो सब किया, जो क़िस्मत ने हमसे था करवाया।

गांव भेजते थे कमाई का, आधा पैसा हम हरदम
कई दफ़ा तो भूखे रहकर, हमने भारी वज़न उठाया।

घरवाली जब साथ आ गई, मुनिया छोटू भी जन्में
हमने भी मुफ़लिस में जीता, छोटा-सा संसार बसाया।

जिन शहरों को शहर बनाया, जिनको था हमने अपनाया
उन्हीं शहरवालों ने हमको, पल भर में ही किया पराया।

आज गांव की ओर हैं वापस, भारी मन का बोझ उठाए
यही ग़नीमत राह-राह में, लोगों ने अपनत्व दिखाया।
            ------------------
#MigrantLabour #MigrantWorkers #Ghazal #DrSharadSingh #miss_sharad #ग़ज़ल #प्रवासीश्रमिक #प्रवासीमज़दूर #मज़दूर #YuvaPravartak #WebMagzine #लॉकडाउन  #शरदसिंह #कोरोना #कोरोनावायरस #महामारी #सावधानी #सुरक्षा #सतर्कता #Coronavirus #corona #pandemic #prevention

No comments:

Post a Comment