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10 May, 2020

मां सो नोनो कोऊ नइयां - डॉ शरद सिंह - विश्व मातृदिवस पर बुंदेली कविता

 विश्व  मातृदिवस पर web magazine युवा प्रवर्तक ने आज मेरी बुंदेली कविता अपने  दिनांक 10.05. 2020 के अंक में प्रकाशित किया है। 
🚩युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
आप इस Link पर भी मेरी इन रचनाओं को पढ़ सकते हैं ... 
http://yuvapravartak.com/?p=32147
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मातृदिवस (10मई) पर विशेष बुंदेली कविता ....

मां सो नोनो  कोऊ नइयां
   
 - डाॅ (सुश्री) शरद सिंह

मां  सो  नोनो  कोऊ नइयां।
मां को अंचरा सीतल  छइयां।

चोट लगे चए जुर चढ़ आए
करे  रतजगा  पाले  मइयां।

खुद भूखी  रै  जावे लेकन
बच्चन खों दे दूध-मलइयां।

गिरहस्ती  में  डूबी  रैती
भूल  बिसारे सबरी गुइयां।

कहो ‘मताई’, ’बऊ’ कह लेओ
पकरे  रइयो  मां की बंइयां ।

मां की  आसीसें  जो होएं
रोक न पाए बिपत, बुरइयां।

मां की लोरी, मां की थपकी -
‘शरद’ न भूली मां की कइयां।
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सागर, मध्यप्रदेश
डॉ. विद्यावती 'मालविका'
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