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09 October, 2018

ओ मेरे हर्क्युलिस ! - डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr Sharad Singh
ओ मेरे हर्क्युलिस !
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तुम हो सकते हो
हर्क्युलिस से भी
अधिक ताक़तवर
उठा सकते हो सूरज
अपनी भुजाओं में
पर, क्या चल सकते हो मेरे साथ
एक कस्बे के
भरे चौराहे में
मेरा माथा चूम कर
मेरी कलाई थाम कर ...
- डॉ शरद सिंह


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#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

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