Shayari of Dr (Miss) Sharad Singh |
अपने ग़ज़ल संग्रह " पतझड़ में भीग रही लड़की " में प्रकाशित एक ग़ज़ल के कुछ शेर...
ज़िंदगी दिखती उदासी आजकल
आस्था लगती धुआं सी आजकल
कंदराएं अब भली लगाने लगीं
हो गया मन आदिवासी आजकल
निर्जला व्रत कह दिया हमने मगर
आत्मा तक है पियासी आजकल
- डॉ शरद सिंह
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