पृष्ठ

25 January, 2018

वज़ह बताना मुश्क़िल है ...... डॉ शरद सिंह

Shayari of Dr (Miss) Sharad Singh
चार क़िताबें पढ़ कर दुनिया को पढ़ पाना मुश्क़िल है।
हर अनजाने को आगे बढ़, गले लगाना मुश्क़िल है।
सबको रुतबे से मतलब है, मतलब है पोजीशन से
ऐसे लोगों से, या रब्बा! साथ निभाना मुश्क़िल है।
शाम ढली तो मेरी आंखों से आंसू की धार बही
अच्छा है, कोई न पूछे, वज़ह बताना
मुश्क़िल है।
- डॉ. शरद सिंह
(‘मेरे ग़ज़ल संग्रह ‘‘पतझड़ में भीग रही लड़की’’ से)

5 comments:

  1. सच मन की बातें अपने जैसों से ही की जा सकती है
    बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना सोमवार २६जनवरी २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
  3. मन के भावों को अभिव्यक्त करती बहुत सुंदर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर, सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति
    वाह!!!!

    ReplyDelete
  5. शाम ढली तो मेरी आंखों से आंसू की धार बही
    अच्छा है, कोई न पूछे, वज़ह बताना मुश्क़िल है।
    - वाह !! आदरनीय शरद जी -- बहुत ही मर्मस्पर्शी भाव हैं आपकी रचना के | मुझे बहुत पसंद आई | सादर सस्नेह शुभकामना और गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई |

    ReplyDelete