मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
वाह ... बहुत खूब।
बहुत सुंदर ....
सतसैया के दोहो में तीर जैसी मारक क्षमता है तो आपकी रचनाओं में भावों की उतनी ही तीक्ष्ण अनुभुति है, बहुत ही लाजवाब.रामराम.
लाजवाब.
वाह , बहुत सुंदर
बहुत सुंदर लाजवाब.
वाह वाह ...बहुत सुन्दर ...हमेशा की तरह।
ख्यालों में अक्सर तनहा साया होता है तसव्वुर बन जाये वो हमसाया होता है
बहुत सुन्दर...
वाह ... बहुत खूब।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ....
ReplyDeleteसतसैया के दोहो में तीर जैसी मारक क्षमता है तो आपकी रचनाओं में भावों की उतनी ही तीक्ष्ण अनुभुति है, बहुत ही लाजवाब.
ReplyDeleteरामराम.
लाजवाब.
ReplyDeleteवाह , बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर लाजवाब.
ReplyDeleteवाह वाह ...बहुत सुन्दर ...हमेशा की तरह।
ReplyDeleteख्यालों में अक्सर तनहा साया होता है
ReplyDeleteतसव्वुर बन जाये वो हमसाया होता है
बहुत सुन्दर...
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