मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
सुंदर ................सुंदर चित्र के साथ
बहुत बढ़िया है डाक्टर साहिबा -आभार इन पंक्तियों में भरे गूढ़ भावों के लिए -सादर डिबिया में सिंदूर सम, रखते पावन भाव |बड़े चाव से मन करे, अपना नित्य अघाव |अपना नित्य अघाव, प्रेम ही मूल-मन्त्र है |सब बंधन से परे, हमेशा ही स्वतंत्र है |शब्द लिखे उन्नीस, भाव पर बीस दिखा है |जीने का अंदाज, पुन: तू गई सिखा है ||
behad umda...
bahut khub likha hai aapne
बहुत खुबसूरत .दिल को छू लेने वाली
लाजवाब, बहुत खूबसूरत.रामराम.
जिसका प्रेम छुपाया है उसकी खातिर इतना तो करना बनता ही है ...
ये तो है.....दर्दभरी मुस्कुान हो या प्रेम भरी..मुस्कान तो उसके नाम पर आएगी ही
सुंदर ................सुंदर चित्र के साथ
ReplyDeleteबहुत बढ़िया है डाक्टर साहिबा -
ReplyDeleteआभार इन पंक्तियों में भरे गूढ़ भावों के लिए -
सादर
डिबिया में सिंदूर सम, रखते पावन भाव |
बड़े चाव से मन करे, अपना नित्य अघाव |
अपना नित्य अघाव, प्रेम ही मूल-मन्त्र है |
सब बंधन से परे, हमेशा ही स्वतंत्र है |
शब्द लिखे उन्नीस, भाव पर बीस दिखा है |
जीने का अंदाज, पुन: तू गई सिखा है ||
behad umda...
ReplyDeletebahut khub likha hai aapne
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत .दिल को छू लेने वाली
ReplyDeleteलाजवाब, बहुत खूबसूरत.
ReplyDeleteरामराम.
जिसका प्रेम छुपाया है उसकी खातिर इतना तो करना बनता ही है ...
ReplyDeleteये तो है.....दर्दभरी मुस्कुान हो या प्रेम भरी..मुस्कान तो उसके नाम पर आएगी ही
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