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19 December, 2012

मेरे वजूद को ......

इस उम्मींद के साथ कि दिल्ली में मानवता को शर्मसार करने वाला जो घटित हुआ वह फिर नहीं होगा.....

15 comments:

  1. हम आपकी उम्मीद के साथ हैं ....

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  2. आपकी और हम सब की उम्मीदों को ...
    शुभकामनायें!

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  3. इस घिनौनी हरकत से दिल दहल जाता है।

    गली में क्रोध से विकलांग टहल आता है।

    अपेक्षा है संसद से जिसमें एक चिर युवा

    ऐसे ही मामले से बाइज्ज़त बरी किया जाता है।



    यहाँ हर मामला कुछ दिन ही गरमाता है।

    बासी होकर मानवाधिकार आयोग जाता है।

    जोशीले गीदड़ मासूमों का शिकार करते हैं

    ये देखकर ही ठंडे शेरों में उबाल आता है।

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  4. बेहतरीन प्रस्तुति,,,,,

    सितम की कामयाबी पर मुबारक बाद देता हूँ,
    ये उनकी बदगुमानी है कि फरियादी समझते है,,,,,"अकबर"

    recent post: वजूद,

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  5. बड़े बुझे मन से कह रही हूँ...हाँ उम्मीद है कि फिर न होगा ऐसा....

    सादर
    अनु

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  6. उम्मीद है...काश फिर से न टूटे..

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  7. काश आप की उम्मीद को सारे देश का संबल मिले।

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  8. एक यही आशा हमेशा मन में बनी रहती है कि फिर ऐसा नहीं होगा। लेकिन फिर-फिर ऐसा होता है और मन में आशा फिर भी बनी रहती है अब शायद शासन कठोर होकर अपनी कमियों को सुधारेगा। कुछ भी हो ... आशा नहीं मरती।

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  9. ये अक्सर हो जाता है क्यूँ हर बार तेरे साथ
    मेरी माँ बहन बेटी मुझसे पूछ बैठते हर रोज

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  10. ऐसी उम्मीद तो है पर क्या पताः(

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  11. सभी दुखी हैं, पर चंद दिनों में सब भूल जायेंगे, पर वो मासूम शायद कभी नही भूल पायेगी...क्या हम वाकई सभ्य और शिक्षित समाज में रहते हैं?

    रामराम.

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  12. chintan ko bibash kartee shandaar panktiyan ..ek prashn bankar jehan me utar gayee hain...sadar badhayee aaur amantran ke sath

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