मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
waah!.... bhaut khub...
जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदेगा उसका हश्र भी तो वैसा ही होगा...
बहुत खूब ...
आपकी लाइन को समर्पित जो टुटा वो यूँ तन्हा होता ही है ..जो तोडा वो तन्हा हो जाता है
kya khoob kaha...
लाजबाब हाइगा,,,रात ढलती रही,आस घटती रही,दिल की दुनिया लुटी चांदनी रात में,,,,RECENT POST : ऐ माता तेरे बेटे हम
waah!.... bhaut khub...
ReplyDeleteजो दूसरों के लिए गड्ढा खोदेगा उसका हश्र भी तो वैसा ही होगा...
ReplyDeleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteआपकी लाइन को समर्पित
ReplyDeleteजो टुटा वो यूँ तन्हा होता ही है ..
जो तोडा वो तन्हा हो जाता है
kya khoob kaha...
ReplyDeleteलाजबाब हाइगा,,,
ReplyDeleteरात ढलती रही,आस घटती रही,
दिल की दुनिया लुटी चांदनी रात में,,,,
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