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18 July, 2012

देवता मिल गया....


20 comments:

  1. वाह ... भावमय करते शब्‍द .. लाजवाब करती प्रस्‍तुति।

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  2. वाह, मोहिल अभिव्यक्ति..

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  3. मन मंदिर मोहित मगन, मुश्किल में मम देह ।

    जाउंगी मनमीत बिन, कैसे वापस गेह ।

    कैसे वापस गेह , संभालो कोई आकर ।

    मेरा पावन नेह, बुलाओ भाई रविकर ।

    शहनाई सी बाज, आज की गजब आरती ।

    मनमोहक अंदाज, स्वयं से खड़ी हारती ।

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  4. प्यार और रब्ब दोनों मंदिर में ही बसते हैं ....

    बहुत सुंदर मुक्तक......

    आपको बहुत बहुत बधाई ...!!
    (किसी पत्रिका में देखा था आपको सम्मान मिला )

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  5. भावमय बहुत सुंदर प्रस्‍तुति

    http://sanjaykuamr.blogspot.in/2012/07/blog-post_18.html

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  6. वाह....
    प्रेम की पराकाष्ठा...
    बहुत सुन्दर शरद जी.

    अनु

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  7. बहुत सुंदर कोमल अहसास लिए रचना...

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  8. सुंदर भाव लिए सुंदर सी रचना .....

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  9. देखा उनको तो खुद से एतबार खो गया है,
    पहली नजर में ही उनसे प्यार हो गया है!
    चुन्नी गले में लपेटे, मासूम सा चेहरा,
    भोली सी चंचलता पे दिल निसार हो गया है!
    तुम्हें देख कर ही जाना प्यार क्या है,
    सूने दिल मे प्यार का विस्तार हो गया!
    तुम्हे पता हो न हो मेरे हमदम,
    तुम्हारी याद ही मेरा संसार हो गया है!
    काश कह पाती मुझसे तू तेरा फैसला,
    लेकिन अब तो धीर सिर्फ इन्तजार हो गया!

    लाजबाब प्रस्तुति,,,,,शरद जी बधाई

    RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....

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  10. प्रस्फुटित निर्मल भाव मन में , वेद लिखता है .
    मन रमे जब प्रेम में ,तब भगवान् मिलता है..

    अद्भुत भाव लिए पंक्तियाँ जहाँ जाकर मन रम जाता है
    एक बार फिर विचार आया क्या कहूँ ?

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  11. उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।



    आइये पाठक गण स्वागत है ।।

    लिंक किये गए किसी भी पोस्ट की समालोचना लिखिए ।

    यह समालोचना सम्बंधित पोस्ट की लिंक पर लगा दी जाएगी 11 AM पर ।।

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  12. बहुत सुंदर !!!

    मन मंदिर हो जाता है
    और देवता से भी
    प्यार हो जाता है
    आरती करते करते
    पता नहीं कब वो
    खुद देवता हो जाता है !!

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  13. करो निरंतर साधना, उरमन्दिर को खोल।
    मिला अर्चना के लिए, मानव जन्म अमोल।।

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  14. बहुत सुंदर मुक्तक....

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  15. सुन्दर मुक्तक बधाई शरद जी |

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  16. bahut hee jabakrdast panktiyan...sadar badhayee ke sath

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  17. ऐसे भाव आखों के सामने आते ही मन में छप जाते हैं |

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  18. प्रेम ही शाश्वत सत्य है....सुन्दर पन्क्तियां

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