पृष्ठ

22 June, 2012

बिन तुम्हारे......


28 comments:

  1. Replies
    1. अत्यन्त आभारी हूं आपकी....

      Delete
  2. कम शब्द गहरे अहसास... बेहतरीन अभिव्यक्ती...

    ReplyDelete
  3. खूबसूरत भाव ।

    बढ़िया शब्द -

    तारतम्य अनोखा ।

    बधाई ।।

    बाता-बाती मद भरी, चित्र करे मदहोश ।

    दीप-शिखा की आंच से, मन-मसोस तन जोश ।

    मन-मसोस तन जोश, कोष धीरज का जारे ।

    पिया बसे परदेश, सँदेशा लेता जा रे ।

    शरद काल की शीत, नहीं सपनों से जाती ।

    वापस आ मनमीत, भूल के बाता-बाती ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरे मुक्तक पर काव्यात्मक टिप्पणी देने के लिये आभार...

      Delete
  4. बहुत ही बढ़िया


    सादर

    ReplyDelete
  5. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार....

      Delete
  6. Replies
    1. आपकी अत्यन्त आभारी हूं....

      Delete
  7. क्यूँ जले मन दीप जैसा रात के एकांत में ?
    जागती आँखें निहारे पथ किसी के प्यार के?

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरे मुक्तक पर काव्यात्मक टिप्पणी देने के लिये आभार...

      Delete
  8. प्रेम की पराकाष्ठा है .....

    सुन्दर...

    अनु

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको हार्दिक धन्यवाद....

      Delete
  9. सुन्दर...बेहतरीन अभिव्यक्ती...

    ReplyDelete
    Replies
    1. अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...

      Delete
  10. Replies
    1. आपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं...हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...

      Delete
  11. अहसासों की चित्रमय सुंदर अभिव्यक्ति,,,,,,

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...

      Delete
  12. Replies
    1. यह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरा मुक्तक आपको पसन्द आया....बहुत-बहुत आभार......

      Delete
  13. Each post supersedes the other one! Which one to praise?

    ReplyDelete
  14. Samjh raha hoon har jagah moti mein samander band hai.

    ReplyDelete