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21 May, 2012

नए ऋग्वेद लिखते हैं .....


21 comments:

  1. वाह...अद्भुत पंक्तियाँ हैं...बधाई स्वीकारें...

    नीरज

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  2. पसीने को संस्कृत में
    पंडितजी स्वेद लिखते हैं.
    मगर मन की 'निराशा' को
    मौलवी खेद लिखते हैं.

    @ मुझे मालूम है कि मैंने 'अभिधा शब्दशक्ति' का प्रयोग किया है, लेकिन आपने शायद 'तात्पर्य शब्दशक्ति' का सुन्दर प्रयोग किया है?

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  3. ये जो ऋग्वेद दिखता है
    अलसाई-सी आंखों में
    फलें-फूलें सभी सपने
    ऋचा बन-बन के जीवन में!

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  4. ये हाइकू तो नहीं...पर जो भी विधा है...लाजवाब है...

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  5. 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक।
    इस लघु/आशु कविता में इस एक बिम्ब से महाकाव्य समाया है।

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  6. असाधारण....चार पंक्तियों मे पूरा सागर भर दिया है
    बहुत सुन्दर

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  7. आपकी इन चंद पक्तियों पर ऋग्वेद क्या सहस्त्रों महाकाव्य की रचना हो सकती है । इस भाव- प्रवण प्रस्तुति के लिए आपको तहे - दिल से शुक्रिया अदा करता हूं । मेरे पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देकर मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आपका विशेष आभार ।

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  8. कैसे बतलाएं कहो नींद और ख्वाब की बातों का सिलसिला खुलकर होगी रुसवाई यहाँ ..........
    नींद आती नहीं, सपने दिखते नहीं ..
    ख्वाब आते हैं फिर, अपने होते क्यूँ नहीं..

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  9. शरद सिंह जी , इस पोस्ट पर मैं अपनी प्रतिक्रिया दे चुका हूं । आपका मेरे पोस्ट पर आगमन मेरे मनोबल को बढ़ाता है । इसलिए अनुरोध है कि मेरे नए पोस्ट "कबीर" पर आकर मुझे प्रोत्साहित करें । धन्यवाद ।

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  10. डॉ शरद सिंह जी नयी विधा ...बहुत सुन्दर गहन भाव
    भ्रमर ५

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  11. जितना संक्षिप्त उतना ही अधिक प्रभावी लेखन

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