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09 September, 2011

तुम्हीं कहो .....


137 comments:

  1. बहुत सुंदर समर्पण भाव ।

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  2. प्रेम और भक्ति की अनुपम प्रस्तुति.

    'लाली मेरे लाल की,जित देखूं तित लाल'

    आभार.

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  3. वाह ... मन को छूते शब्‍द ।

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  4. बहुत खूब ... प्रेम ही प्रेम ..

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  5. प्रेम की चरम परिणति है यह ....!

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  6. बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति...

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||

    बधाई |

    और बधाई ||

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  8. प्यार में चेहरा-ए-महबूब ही अच्छा लगता.
    और दुनिया के नज़ारों से भला क्या लेना.

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  9. बहुत खूब...अति सुन्दर....

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  10. जब परमात्मा में लौ लग गई तो अब देखने को उसके सिवा क्या बचा? बहुत ही श्रेष्ठ रचना.

    रामराम

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  11. कैलाश सी. शर्मा जी,
    यह मेरे लिए सुखद है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.आभार.
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

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  12. राकेश कुमार जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  13. सदा जी,
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
    बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  14. Er. सत्यम शिवम जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक आभार।

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  15. संगीता स्वरुप जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
    इसी तरह स्नेह बनाएं रखें।

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  16. यशवन्त माथुर जी,
    मेरी कविता पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
    इसी तरह स्नेह बनाएं रखें।

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  17. भूषण जी,
    मेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत आभार।

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  18. केवल राम जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई...इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

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  19. ऋता शेखर 'मधु'जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक धन्यवाद...
    इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

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  20. रविकर जी,
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
    बहुत बहुत धन्यवाद.

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  21. रश्मि प्रभा जी,
    यह मेरे लिए सुखद है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.आभार.
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

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  22. कुंवर कुसुमेश जी,
    मेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
    इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

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  23. सुषमा 'आहुति' जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...

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  24. संजय कुमार चौरसिया जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार !

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  25. प्रवीण पाण्डेय जी,
    आपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है... हार्दिक धन्यवाद!

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  26. ताऊ रामपुरिया जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...

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  27. प्रेम पगे मन की खूबसूरत अभिव्यक्ति .

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  28. आशीष जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई...इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

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  29. कविता सीधे ह्रदय में दस्तक देती है जरूर अंतर्मन की दस्तक है , बेहतरीन काव्य ,बधाई

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  30. ऋषि कपूर का गाया गाना याद आ गया ... तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती नज़ारे हम क्या देखें!

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  31. देखता हूँ तो सोचता हूँ क्या पा सकूँगा में तुझे
    में अक्सर चाँद के बहाने रोज तुझे देखा करता हूँ
    तेरी हल्की सी एक मुस्कुराहट ही तो है चाँद....
    क्या आजतक ये मालूम हुआ तुझे ...,,.....बहुत .सुंदर...शरद जी .....

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  32. समर्पण भाव से ओत-प्रोत गहन प्रस्तुति.....

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  33. हर शब्‍द बहुत कुछ कहता हुआ....खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  34. बहुत सुन्दर ...

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  35. जब तुम ही तुम हो हर सू तो किसी और नज़ारे को देखा भी कैसे जा सकता है ... बहुत खूब ... चंद लेने और अनंत सागर ....

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  36. कुश्वंश जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचार सुखद लगे....
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  37. मनोज कुमार जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

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  38. बी एस गुर्जर जी,
    बहुत-बहुत आभार...अपनी कविता पर आपके विचार जानकर सुखद लगा...

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  39. डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    बहुत-बहुत आभार......
    इसी तरह संवाद बनाए रखें....

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  40. महेश्वरी कनेरी जी,
    यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई... विचारों से अवगत कराने हेतु आपको बहुत बहुत धन्यवाद !

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  41. संजय भास्कर जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    बहुत-बहुत आभार......
    इसी तरह आत्मीयता बनाए रखें....

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  42. uljheshabd ,
    विचारों से अवगत कराने हेतु आपको बहुत बहुत धन्यवाद !

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  43. दिगम्बर नासवा जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  44. अब कुछ न दिख पायेगा....

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  45. लाली मेरे लाल की ,जीत देखूं तित लाल ...
    देखूं तेरा ज़माल ....बहुत सुन्दर मुग्धा भाव की रचना .बधाई .

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  46. ये रचना पढ़कर, 'जिगर' साहब का ये शेर याद आ गया!

    हर सू दिखाई देते हैं वो जलवागर मुझे
    क्या क्या फरेब देती है मेरी नज़र मुझे

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  47. कुमार जी,
    बहुत-बहुत आभार...अपनी कविता पर आपके विचार जानकर सुखद लगा...

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  48. वीरूभाई जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई...इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

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  49. 'साहिल' जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचार सुखद लगे....
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  50. निवेदिता जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....हार्दिक आभार।

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  51. प्रेमातिरेक को अभिव्यक्त करती संक्षिप्त रचना.अति सुंदर.

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  52. वाह!!! प्रेम की पराकाष्ठा...बहुत उम्दा!!

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  53. सुंदर ,अति सुंदर..

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  54. हर शब्‍द बहुत कुछ कहता हुआ....खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  55. एक अनुत्तरित प्रश्न ने मन की बात कह ही दी.

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  56. सूफियाना संगीत गूंज गया....शम्मी कपूर का गाने कि एक लाइन है ..मन में तस्वीर बसी यार की...बस यही तो है ..तू है तू है तू है बस और नहीं..

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  57. बहुत ही सादे शब्दों में बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति..........

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  58. सपना निगम जी,
    बहुत-बहुत आभार...अपनी कविता पर आपके विचार जानकर सुखद लगा...

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  59. समीर लाल जी,
    यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई...विचारों से अवगत कराने हेतु आपको बहुत बहुत धन्यवाद!

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  60. अमृता तन्मय जी,
    आभारी हूं...विचारों से अवगत कराने हेतु आपको बहुत बहुत धन्यवाद !

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  61. सुरेश कुमार जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  62. अरुण कुमार निगम जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    बहुत-बहुत आभार......

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  63. boletobindas जी,
    यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई... विचारों से अवगत कराने हेतु आपको बहुत बहुत धन्यवाद !

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  64. मालिनी गौतम जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    बहुत-बहुत आभार......
    इसी तरह आत्मीयता बनाए रखें....

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  65. जयकृष्ण राय तुषार जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....हार्दिक आभार।

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  66. Miss Sharad jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
    आप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
    MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
    BINDAAS_BAATEN कृपया यहाँ चटका लगाये

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  67. लगता तो नहीं कि नज़र कहीं और जा सकती है.

    बेहतरीन प्रस्तुति सुंदर कविता के माध्यम से.

    बधाई.

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  68. नीलकमल जी,
    हिंदी दिवस की आपको भी हार्दिक अग्रिम शुभकामनाएं.
    विचारों से अवगत कराने हेतु आपको बहुत बहुत धन्यवाद !

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  69. रचना दीक्षित जी,
    बहुत-बहुत आभार...अपनी कविता पर आपके विचार जानकर सुखद लगा...

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  70. रचना जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    बहुत-बहुत आभार......

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  71. शरद जी आप बहुत अच्छा लिखती हैं, प्रस्तुति बहुत है और टिप्पणियाँ भरपूर मिल रही हैं आपकी रचनाओं को, दरअसल रचना की सफलता का यही सही परिचायिक है। बहुत बहुत वधाई आपको।
    कभी नवगीत से भी जुड़ें और यहाँ कुछ समय दें।

    www.navgeet.blogspot.com

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  72. हर सिम्त मुहब्बत के मौसम नज़र आते हैं.
    या तुम नज़र आते हो या हम नज़र आते हैं.

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  73. जिसके तस्वुर से ही जो विराना खिल जाये, उस बहार को और क्या चाहिए ,
    सदा खिलते रहना मेरे दिल के गुलशन में तुम बहार बन कर .

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  74. tremendously beautiful...
    touched deeply somewhere...

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  75. वाह! दो पंक्तियां याद आ गयीं:

    जिधर देखूं फिजां में रंग मुझको दिखता तेरा है
    अंधेरी रात में किस चांदनी ने मुझको घेरा है।

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  76. डा० व्योम जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  77. डॉ.सुभाष भदौरिया जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    बहुत-बहुत आभार......

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  78. रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....हार्दिक आभार।

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  79. POOJA ji,
    Thanks for your valuable comment on my poem.

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  80. अनुराग शर्मा जी,
    बहुत-बहुत आभार...अपनी कविता पर आपके विचार जानकर सुखद लगा...

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  81. शरद जी मैंने पिछली बार भी अनुरोध किया था अपनी १०,१५ बेहतरीन क्षणिकाएं भेजिए 'सरस्वती-सुमन' पत्रिका के लिए
    अपने संक्षिप्त परिचय और तस्वीर के साथ ....
    ये अंक क्षणिका विशेषांक है जो काफी महत्वपूर्ण और संग्रहीन होगा ....
    आप अपनी रचनायें मुझे मेल द्वारा या डाक से भी भेज सकती हैं ....

    harkirathaqeer@gmail.com

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  82. हरकीरत ' हीर' जी,
    कतिपय व्यस्तता के कारण विलम्ब हुआ है...शीघ्र ही मेल कर रही हूं.
    पुनः आग्रह हेतु ससंकोच आभारी हूं.

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  83. तुम्ही कहो.........
    खूबसूरत!
    आशीष
    --
    मैंगो शेक!!!

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  84. हर पोस्ट को एक पृष्ठ में परिवर्तित कर दीजिए और सुंदर रंगीन पुस्तक प्रकाशित करवा लीजिए। मुझे लगता है, खूब बिकेगी...।

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  85. वाह! यह तो ‘जित देखूं तित लाल’ की बात हो गई ॥

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  86. मन को छू लेने वाली पंक्तियाँ पसंद आई ! बधाई स्वीकारें!

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  87. डा० शरद जी ,
    कृपया नीचे दिए लिंक पर एक बार दस्तक दें


    गदर की चिनगारियाँ

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  88. लाली मेरे लाल की जित देखूं तित लाल
    लाली देखन मैं गयी मैं भी हो गयी लाल
    भीनी भीनी अभिव्यक्ति !

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  89. आशीष जी,
    मेरी कविता को पसन्द करने के लिए आभार...

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  90. देवेन्द्र पाण्डेय जी,
    प्रोत्साहन के लिए आभारी हूं....

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  91. चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.... हार्दिक आभार।

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  92. विरेन्द्र जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
    इसी तरह संवाद बनाए रखें....

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  93. संगीता स्वरुप जी,
    आपकी यह सजगता एवं आत्मीयता मुझे आपके स्नेह के सम्मुख नतमस्तक कर देती है.
    आभारी हूं...

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  94. अरविन्द मिश्रा जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  95. Great creation Dr Sharad...Enjoyed reading...Thanks.

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  96. Divya ji,
    I feel honored by your comment. Thanks!

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  97. jidhar dekhoon teri taswir najar aati hai..prem ki yah sarvoccha awastha hai..kavita wo hai jo kam muh khole jyada bole..aapki rachnayein is tathya ko hamesh satyapit karti hain..aapki dristavya kavita ka chota ans main pad leta hoon aaur brihat ans mahshoos karta hoon..badhayee aaur sadar pranam ke sath

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  98. डॉ आशुतोष मिश्र ‘आशु’ जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    बहुत-बहुत आभार......

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  99. bahut hi sundar ......wow
    tum hi tum dikhai dete ho ......... abhar sundar prastuti ke liye ..

    ye jankar khushi hui ki app M.P. se hai .aapka blog bahut achha laga

    sapne-shashi.blogspot.com

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  100. http://premchand-sahitya.blogspot.com/

    यदि आप को प्रेमचन्द की कहानियाँ पसन्द हैं तो यह ब्लॉग आप के ही लिये है |

    यदि यह प्रयास अच्छा लगे तो कृपया फालोअर बनकर उत्साहवर्धन करें तथा अपनी बहुमूल्य राय से अवगत करायें |

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  101. दूसरे नजारे भी ‘तुम ही तुम‘ युक्त हो जाते हैं।
    दो पंक्तियों की ख़ूबसूरत ‘कहानी‘।

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  102. शशि पुरवार जी,
    आपका आना सुखद लगा.
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.... मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

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  103. अवनीश सिंह जी,
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

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  104. महेन्द्र वर्मा जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    बहुत-बहुत आभार......

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  105. इन्द्रनील भट्टाचार्य जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....हार्दिक आभार।

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  106. चंद शब्दों में सुन्दर और प्रभावशाली अभिव्यक्ति.

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  107. अभिषेक मिश्र जी,
    आपका आना सुखद लगा.
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.... मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

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  108. प्रेम में सौन्दर्य आ ही जाता है फिर और क्या देखना ! वाह ! क्या बात है !

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  109. ऊषा राय जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....हार्दिक आभार।

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  110. बहुत अच्छा लिखा है आपने....सच....!!

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  111. अच्छी भावाव्यक्ति।

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  112. डॉ. मिस शरद सिंह जी आपकी मेहनत और उपलब्धियों के मद्देनज़र, अयोध्या के निकट स्थित हमारी संस्था, आचार्य नरेन्द्र देव किसान पी. जी. कॉलेज, बभनान, गोण्डा, उ. प्र., के प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग की ओर से आयोजित तथा यू.जी.सी. द्वारा संचालित ‘युग-युगीन नारी विमर्श’ विषय को केन्द्र में रखकर होने वाली राष्ट्रीय संगोष्ठी में विभागाध्यक्ष, प्रा. इति. एवं पुरातत्व, अॅसोशिएट प्रो. डॉ. सुशील कुमार शुक्ल तथा आयोजन समिति ने निर्णय लिया है कि आप को इस संगोष्ठी में आपको विशिष्ट अभ्यागत (रिसोर्स पर्शन) के रूप में आमन्त्रित किया जाय। अतः आप इस आमन्त्रण को स्वीकार कर अपनी सहमति ईमेल- cm07589@gmail.com पर अविलम्ब देने की कृपा करें जिससे आपके आने से सम्बन्धित औपचारिकताओं को पूरा किया जा सके। अपना फोन नं. भी मेल में लिख देंगी। जिससे बात हो सके। अथवा 09532871044 पर बात भी करके सूचित कर दें तो अति कृपा होगी। विश्वास है कि आप इस आमन्त्रण को अस्वीकार नहीं करेंगी। आपके आने-जाने तथा रहने का पूरा व्यय महाविद्यालय करेगा। सादर-
    चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
    आ. न. दे. किसान पी. जी. कॉलेज,
    बभनान, गोण्डा, उ. प्र.
    फोन नं.- 09532871044
    email- cm07589@gmail.com

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  113. यह संगोष्ठी इसी 15-16 अक्टूबर को होनी है। अतः आप तुरन्त सूचित करने की कृपा करें

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  114. शरद्न जी नमस्कार्।सामर्पण के सुन्दर भाव्।

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  115. तो कोई मर्ज़ी है ना.....खुद के साथ....हज़ारों औरतों के असम्मान करते हुए लोगों से हार जाने की.....!!
    सारी कवितायें पढ़ ली आज आपकी....
    सोच रहा था कि क्या बोलूं....
    अब चुप रहूँ तो तो समझो नहीं आप
    और बोलूं तो मैं क्या बोलूं....
    चंद पंक्तियों में सार है सारा
    कुछ शब्दों में अर्थ है न्यारा
    प्रेम को ध्वनि में व्यक्त करती
    आँखों से ह्रदय में उतरती....
    ये जो कवितायें हैं आपकी...
    मन को कोमलता को सहलाती
    स्पंदन-सा कुछ है जगाती....
    इत्ती प्यारी सी हैं ये कवितायें....
    कि बोलूं तो क्या मैं बोलूं....!!

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  116. जिधर देखूँ उधर तेरी तस्वीर नज़र आती है ...
    बहुत सुंदर पंक्ति ...एक ही लाइन में पूरी कहानी

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  117. सुरेन्द्र "मुल्हिद" जी,
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

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  118. राजीव थेपड़ा जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.... आभार....

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  119. निशा महाराणा जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये हार्दिक धन्यवाद ...

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  120. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ जी,
    आचार्य नरेन्द्र देव किसान पी. जी. कॉलेज, बभनान, गोण्डा, उ. प्र., के प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग की ओर से आपके द्वारा आमंत्रण हेतु अनुगृहीत हूं.

    दुख है कि उक्त तिथियों में दिल्ली में एक कॉन्फ्रेंस में शामिल होना है, जिसकी स्वीकृति मैं आयोजनकर्ताओं को पूर्व में ही दे चुकी हूं. अतः विवशता है. आशा हैकि आप मेरी इस विवशता को अन्यथा नहीं लेंगे.

    आपकी सदाशयता के प्रति पुनः आभार प्रकट करती हूं तथा प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग के इस महत्वपूर्ण आयोजन में उपस्थित हो पाने में असमर्थता के लिए क्षमाप्रार्थिनी हूं.

    आशा हैकि इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखेंगे.

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  121. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ जी,
    पुनः आभार....

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  122. सुमन दुबे जी,
    मेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
    इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

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  123. राजीव थेपड़ा जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    बहुत-बहुत आभार......

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  124. रजनीश तिवारी जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.... हार्दिक आभार...

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  125. डॉ शरद सिंह जी ...खुबसूरत क्षणिका ...लाजबाब ..यही होता है जित देखूं तित तूं ...सुन्दर भाव प्यारी रचना गजब का रंग दिया मन को छू गयी ...ये ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं .....जय माता दी आप सपरिवार को ढेर सारी शुभ कामनाएं नवरात्रि पर -माँ दुर्गा असीम सुख शांति प्रदान करें
    थोडा व्यस्तता वश कम मिल पा रहे है सबसे क्षमा करना
    भ्रमर ५

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  126. BEAUTIFUL BUT SEECHLESS LINES.ONCE AGAIN IT MAY BE FAST TO SAY ON THESE LINES.

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