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22 July, 2011

अभिव्यक्ति प्रेम की ...


204 comments:

  1. सुंदर है यह मौन अभिव्यक्ति प्रेम की ...!!

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  2. वाह्….……कितनी खूबसूरती से प्रेम को परिभाषित कर दिया।

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  3. beautiful post. THis poem touched my heart,
    excellent write!

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  4. अपलक ... ! भाषा कैसी फिर !

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  5. अनुपमा त्रिपाठी जी,
    आपका स्नेह मेरी कविता को मिला...यह मेरा सौभाग्य है...

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  6. वन्दना जी,
    मेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  7. संजय भास्कर जी,
    आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....

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  8. रश्मि प्रभा जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....आभारी हूं...

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  9. मौन अपलक निहारना.
    क्या बात है.
    सुन्दर चित्र के साथ आपकी प्रस्तुति क्या प्रेम का ही इजहार है?

    'गिरा अलिनि मुख पंकज रोकी,प्रगट न लाज निसा अवलोकी'

    मेरी टिपण्णी पर आपकी प्रति टिपण्णी कुछ और भी प्रगट करे तो
    ज्यादा आनंद आयेगा.

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  10. sambad jab tak hain...purnatav ho hi nahi sakta..
    mera uttar hai...kadapi nahin

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  11. मौन अपलक निहारना.
    ..बहुत ही खूबसूरती से प्रेम को परिभाषित कर.प्रेम को एक नया और मासूम रुप देदिया है..बहुत सुन्दर..शरद जी..

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  12. राकेश कुमार जी,
    मेरी कविता के प्रति आपकी टिप्पणी रूपी काव्यपंक्ति के लिए आभारी हूं.

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  13. डॉ.आशुतोष मिश्रा आशु जी,
    आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....

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  14. खूब लिखा.
    अपलक निहारना भी एक ज़बरदस्त अभिव्यक्ति है body language के अंतर्गत.

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  15. माहेश्वरी कनेरी जी,
    मेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
    आपकी सुधी टिप्पणी के लिए आभारी हूं.

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  16. कुंवर कुसुमेश जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार.

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  17. जड़ता में भी ऎसी स्थिति बन जाती है .... मूक होकर अपलक शून्य दृष्टि से निहारते रहना.
    विषाद जब गहरा जाता है तब दृष्टि को किसी वस्तु पर टिका जाता है.
    हाँ ये सही है कि जब आकर्षण से प्रेम पनपता है तब समस्त ज्ञानेन्द्रियों को मुग्धता की स्थिति में ले आता है. और इसी मुग्धावस्था में जब वियोग या संयोग की स्मृति मानस में तैरती है तब भी दृष्टि को शून्य कर देती है.
    'मूकभावेन अपलक शून्य दृष्टि' एक मानसिक अवस्था है जो अतिशयता से उपजती है :
    — अति आकर्षण
    — अति विषाद
    — अति सुखद स्मृति
    — अति दुखद स्मृति

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  18. आदरणीय डॉ. (सुश्री) शरद सिंह जी,
    यथायोग्य अभिवादन् ।

    जी... बहुत कम शब्दों में आपने गीता और कुरआन के सार को रच दिया। बगैर कुछ कहे, जब जिन्दगी में बहुत कुछ कहना हो चले, तब वाकई में वह प्रेम ही होगा? हर धर्म, हर जाति और हर समाज में स्वीकार्य यह प्रेम, आज तलक खारिज क्यूं होता रहा है, समझ से परे है?
    जी... मंदिर की घण्टी और मस्जिद के अजान की जरूरत ही कहां रही, तब, जब ऐसा मौन सुनकर प्रेम की इस तरह अभिव्यक्ति हो सकती है?
    बेहतरीन रचना....। मंदिर-मस्जिद ही नहीं हर देहरी पर ऐसा मौन आवाज लगाये..... कामना है।

    रविकुमार बाबुल
    ग्वालियर

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  19. हमेशा की तरह अव्वल प्रस्तुति.....बहुत खूब ....

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  20. प्रतुल वशिष्ठ जी,
    मेरी कविता के प्रति अपलक शून्य दृष्टि से निहारने की बहुत सुन्दर व्याख्या की है आपने....हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...

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  21. रविकुमार बाबुल जी,
    मेरी कविता पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया से अभीभूत हूं...
    हार्दिक आभार...

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  22. सारदा जी,
    आपको अपने इस ब्लॉग पर देख कर अत्यंत प्रसन्नता हुई...
    मेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  23. 'मौन'तो सबसे बड़ा हथियार है ही । 'प्रेम'तथा 'युद्ध'के मैदान मे भी मौन रहने वालों की जीत सुनिश्चित है।

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  24. विजय माथुर जी,
    अपनी कविता पर आपकी विचारपूर्ण टिप्पणी पढ़ कर अत्यंत प्रसन्नता हुई. हार्दिक धन्यवाद...

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  25. मौन प्रेम की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..कुछ शब्दों में बहुत कुछ कह दिया..

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  26. kyaa baat hai..kitni badi baat kehi hai aapne....sundar:)

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  27. इससे बड़ी अभिव्यक्ति और क्या होगी....

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  28. उसकी इक आवाज सुनने को, ताउम्र मै तरसती रही..
    मौन रह वो सबकुछ कह गया, ये आंखें बरसती रही....

    मौन रहकर भी सब बोल देना निपुण प्रेम की सबसे बड़ी कला है..
    अति सुन्दर रचना...आभार...

    Suresh Kumar
    http://sureshilpi-ranjan.blogspot.com

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  29. वाह! समंदर से भी गहरी अभिव्यक्ति छुपी है इन दो पंक्तियों में !
    आभार !

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  30. कैलाश सी.शर्मा जी,
    आभारी हूं आपकी सहृदय टिप्पणी के लिए....

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  31. Er. सत्यम शिवम जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....हार्दिक धन्यवाद .

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  32. यशवन्त माथुर जी,
    मेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  33. वीना जी,
    आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं...

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  34. सुरेश कुमार जी,
    मेरी कविता के प्रति आपकी टिप्पणी रूपी काव्यपंक्ति के लिए आभारी हूं.

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  35. ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  36. वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।

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  37. सदा जी,
    आपकी स्नेहिल टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....

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  38. मौन अपलक !!!...निहारना
    वाह क्या बात है !
    रचना और चित्र .......मौन ही मुखर हो उठता है

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  39. sabse pahle to aap ko namaskaar,
    aapka blog padkar bahut achha lagta hai....
    aap kam shabdon men sbkuchh kah dalhi hai....
    nayaab post hai...
    naya naya hun abhi blog jagat men...
    mere blog par aapka swagat hai....

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  40. ...बिलकुल नहीं हो सकती ! ....बहुत सुंदर

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  41. हमेशा की तरह आप कम शब्दों में बहुत खुबसूरत अभिवयक्ति की है आपने.....

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  42. Lagta hai esa apki rachna padhkar,
    jeae ek bund me ho hjaron sagar,,
    achi lagi apki ye rachna......
    Jai hind jai bharat

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  43. मौन अपलक निहारना ... बहुत खूबसूरती से प्रेम को अभिव्यक्त किया है ... अच्छी प्रस्तुति

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  44. आदरणीय डॉ (मिस) शरद सिंह जी -बिलकुल नहीं हो सकती -ये आँखें बोलती है मौन कैसे आड़े आएगा पिय मिलन में ..सुन्दर गागर में सागर
    आभार आप का -बधाई भी
    भ्रमर ५

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  45. बिल्कुल नही। सत्य वचन।

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  46. सुरेन्द्र सिंह " झंझट "जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  47. कुमार जी,
    मेरे ब्लॉग पर फिर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।

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  48. रजनीश तिवारी जी,
    मेरी कविता के मर्म को रेखांकित करती आपकी टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार...

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  49. रवि राजभार जी,
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  50. सुषमा आहुति जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    आभारी हूं।

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  51. संजय कुमार चौरसिया जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

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  52. साजन आवारा जी,
    मेरी कविता के प्रति आपकी टिप्पणी रूपी काव्यपंक्ति के लिए आभारी हूं.
    बहुत-बहुत धन्यवाद...

    ReplyDelete
  53. संगीता स्वरुप जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  54. सुरेन्द्र शुक्ला भ्रमर जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक आभार...

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  55. अमित चन्द्रा जी,
    आपकी स्नेहिल टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....

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  56. यही सबसे सशक्त अभिव्यक्ति है, इसमें संदेह नहीं. सुंदर सृजन.

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  57. भूषण जी,
    मेरी कविता के मर्म को रेखांकित करती आपकी टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  58. वाकई नहीं .....
    शुभकामनायें आपको !

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  59. आपने सवाल भी ऐसा पूछा है जो पढने में तो चंद शब्दों का है पर पूरी कायनात के जवाबों के सामने भी उतरित होकर भी, अंतत: अनुतरित ही रहेगा. बहुत लाजवाब अभिव्यक्ति.

    रामराम.

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  60. इस छोटी सी रचना में कुछ बात बहुत बड़ी है जो बहुत देर तक मन के अंदर बैठी रही और यह शेर याद आ गया ...
    नज़र में ढ़ल के उभरते हैं दिल के अफ़साने,
    यह और बात है, दुनियां नज़र न पहचाने।

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  61. आपने तो गागर में सागर भर दिया है

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  62. एक सीधी लगनेवाली बात बेहद प्रभावशाली और कम शब्दों में, मगर दूर तक छूती बधाई

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  63. डा० शरद जी ,
    कृपया नीचे दिए लिंक पर एक बार दस्तक दें


    फुर्सत में ...

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  64. सतीश सक्सेना जी ,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक आभार...

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  65. ताऊ रामपुरिया जी,
    बहुत सुन्दर ढंग से व्याख्यायित किया है आपने मेरी कविता के मर्म को....अनुगृहीत हूं.

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  66. मनोज कुमार जी,
    मेरी कविता के प्रति आपकी टिप्पणी रूपी काव्यपंक्ति के लिए आभारी हूं.
    बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  67. रोशी जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  68. उपेन्द्र शुक्ल जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

    ReplyDelete
  69. sm ji,
    I am very glad to see your comment on my poem. Hearty thanks.
    Always welcome your comments on my blogs.

    ReplyDelete
  70. कुश्वंश जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    विचारों से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  71. संगीता स्वरुप जी,
    आदरणीय मनोज जी के लिंक की सूचना देने के लिए हार्दिक आभार...संभवतः मुझे वहां तक पहुंचने में कुछ विलम्ब हो जाता किन्तु आप की सूचना पढ़ते ही मैं सीधे वहां पहुंची...
    आपका यह स्नेह एवं आपकी यह सदाशयता हमेशा मेरे मन को गहरे तक छू जाती है.
    पुनः हार्दिक आभार.

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  72. मौन की भाषा गहन होती है, शब्दों के परे होती है।

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  73. प्रवीण पाण्डेय जी,
    बहुत सुन्दर ढंग से व्याख्यायित किया है आपने मेरी कविता के मर्म को....अनुगृहीत हूं.

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  74. बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  75. सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  76. डोरोथी जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

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  77. अंकित पाण्डेय जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक आभार...

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  78. prem ki abhivyakti hoti hee kuch aaisi hai, jo juban ko maloom naheen. sunder.

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  79. नीलम चंद जी,
    विचारों से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  80. ये मौन मन्त्र मुग्धता प्रेम की शाश्वत अभिव्यक्ति है .संवाद यहाँ सतही नहीं डेफ्थ लिए होता है त्रि -आयामीय .सुन्दर अभिव्यक्ति चित्र मय .

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  81. प्रेम की अभिव्यक्ति का सुन्दर चित्रण। साधुवाद।

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  82. वीरूभाई जी,
    बहुत सुन्दर ढंग से व्याख्यायित किया है आपने मेरी कविता के मर्म को....अनुगृहीत हूं.

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  83. आचार्य परशुराम राय जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  84. नैनों को सवाक संवाद की ज़रुरत ही कहाँ होती है .गलत कहा है किसी ने -न जुबान को दिखाई देता है ,न निगाहों से बात होती है .चितवन ही तो जादुई होती है जहां विहंगावलोकन भी त्रि -आयामीय होता है .

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  85. प्रेम की पराकाष्ठा को शब्दों में बांध लिया आपने .आभार

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  86. इतना ही काफी है प्यार जताने के लिए....सुन्दर रचना,आभार

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  87. वाह...क्या खूब कहा !

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  88. kum shavdo me vazanee abhivykti........
    wah kya baat hai?

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  89. वीरूभाई जी,
    बहुत सुन्दर ढंग से व्याख्यायित किया है आपने मेरी कविता के मर्म को....अनुगृहीत हूं.

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  90. आशीष जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक आभार...

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  91. वीरेन्द्र जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....आभार।

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  92. मनोज कुमार जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

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  93. अपनत्व...,
    विचारों से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  94. महेन्द्र श्रीवास्तव जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक आभार...

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  95. महेन्द्र श्रीवास्तव जी,
    आपके ब्लॉग पर जाते ही एक्सप्लोरर क्रश हो जाता है. कृपया, उसे चैक कर लें.

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  96. काजल कुमार जी,
    मेरी कविता के मर्म पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक आभार...

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  97. Suman ji,
    I am very glad to see your comment on my poem. Hearty thanks.
    Always welcome your comments on my blogs.

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  98. वाह! प्रेम की उत्कृष्ट और सारगर्भित परिभाषा

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  99. kitna sunder likha hai gagar me sagar .in panktiyon ki vyakhya ki jaye to kavyadhara bah niklegi
    rachana

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  100. 'साहिल' जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

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  101. रचना जी,
    अनुगृहीत हूं कि बहुत सुन्दर ढंग से व्याख्यायित किया है आपने मेरी कविता के मर्म को....

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  102. समीर लाल जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक आभार...

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  103. बहुत ही सुन्दर,शानदार और उम्दा प्रस्तुती!

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  104. 9 दिन तक ब्लोगिंग से दूर रहा इस लिए आपके ब्लॉग पर नहीं आया उसके लिए क्षमा चाहता हूँ ...आपका सवाई सिंह राजपुरोहित

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  105. वाह! बहुत खूब! चंद पंक्तियों में आपने बड़े खूबसूरती से प्यार की परिभाषा को व्यक्त किया है! ज़बरदस्त प्रस्तुती!

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  106. बहुत सुंदर....गागर में सागर ...
    यह मौन अभिव्यक्ति प्रेम की .

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  107. nahi..........................................

    kya kahun,shabd asmarth hai sach ki abhivyakti ke liye,
    aisa kya kaha tumne'tb bhi......
    aur kuch nahi kehna tb bhi......
    ahsaaso ka byaan .....khoobsoorat

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  108. ज़ालिम ज़माना...इतना वक्त ही कहाँ देता...

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  109. सवाई सिंह राजपुरोहित जी,
    मेरी कविता की सराहना के लिए हार्दिक आभार...

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  110. सवाई सिंह राजपुरोहित जी,
    देर से सही, आपका आना सुखद लगा ...... हार्दिक धन्यवाद !

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  111. उर्मि जी,
    आमंत्रण के लिए आभार...

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  112. मुकेश कुमार सिन्हा जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

    ReplyDelete
  113. डॉ. हरदीप संधु जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
    बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  114. अंजू जी,
    मेरी कविता के मर्म पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक आभार...

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  115. वाणभट्ट जी,
    मेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  116. शिखा कौशिक जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक आभार...

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  117. उर्मि जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

    ReplyDelete
  118. कविता बहुत अच्छी है ..अपलक निहारना! बहुत सुन्दर !
    ..टिप्पणियों में व्याख्या पढ़ी..बहुत बढ़िया!

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  119. bahut sunder...yahi hai prem ki abhivyakti...

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  120. baar baar aa raha hooon...aplak niharti taswir pa raha hoon...kavita pahle padhi thi ab yaad ho gayi hai...use aplak maun niharna se badi koi abhivyakti nahi prem ki ..mudde pe dil ki dimag se ladai ho gayi hai....waiting for your another wonderful creation...sadar pranam ke sath

    ReplyDelete
  121. अल्पना वर्मा जी,
    आपकी स्नेहिल टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार...

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  122. कविता वर्मा जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....हार्दिक आभार।

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  123. डा.आशुतोष मिश्र आशु जी,
    मेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
    आपकी सुधी टिप्पणी के लिए आभारी हूं. आपका सदैव स्वागत है.

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  124. are behtareen hai...sahi soch..

    ummeed hai aap is blog pe likhi kuch rachnayein padhengi:
    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

    aise hi kuch ehsaason ka samaavesh hai wahaan

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  125. aaderniya sharad ji behtreen kavita.. mei to bakeye maun ho gaye..

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  126. एहसास जी,
    मेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...

    ReplyDelete
  127. कनक ग्वालियरी जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये हार्दिक आभार....

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  128. as usual excellent photo with beautiful lines..

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  129. मौन था मन ,ह्रदय निस्पंद झुके हैं चक्षु ,मंजुकपोल और वो न जाने क्यूँ छुपाते रहे सूखे पड़े उन अधरों की सुर्ख़ियों में वो ढाई आखर प्रेम के.....अक्षय-मन

    मैं समझता हूँ प्यार शब्दों में या किसी अभिव्यक्ति मैं नहीं बंध सकता हाँ हम इस माध्यम से उसे परिभाषित करने की कोशिश कर सकते हैं...

    आपने बहुत ही अच्छा लिखा है..

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  130. मोहिन्दर कुमार जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

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  131. अमित श्रीवास्तव जी,
    Hearty Thanks for your comment...
    You are always welcome in my blog.

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  132. अक्षय मन जी,
    मेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  133. एस एन शुक्ला जी,
    मित्रता दिवस पर आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं...
    आभारी हूं स्मरण के लिए.

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  134. सोनू जी,
    आपको भी मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये...

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  135. ज्योति सिंह जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

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  136. सवाई सिंह राजपुरोहित जी,
    आमंत्रण हेतु हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएं...

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  137. सवाई सिंह राजपुरोहित जी,
    100वीं पोस्ट की आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें!
    इसी तरह गतिवान रहें और लिखते रहें.

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  138. Mam u r awesome... n these few lines r just tremendous...
    shabd nahi mil rahe...
    padhne ke baad laga jaise kisi ne dil tatol kar uske raaz duniya ke saamne rakh diye...
    simply great...

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  139. क्या बात है शरद जी .....
    बहुत खूब .....
    अपनी सारी क्षणिकाएं तुरंत भेज दीजिये
    अपने संक्षिप्त परिचय और तस्वीर के साथ ......

    harkirathaqeer@gmail.com

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  140. नन्ही सी परिभाषा ,गागर में सागर.

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  141. बहुत अच्छी रचना है!
    शुभकामनाएँ!

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  142. I like above the pictures. It's great stuff.

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  143. खूबसूर है प्रेम की यह परिभाषा।

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  144. रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.

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  145. पूजा जी,
    मेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
    आपका सदैव स्वागत है.

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  146. हरकीरत ' हीर' जी,
    यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.
    आपकी सुधी टिप्पणी के लिए आभारी हूं.

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  147. सपना निगम जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

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  148. अमरेन्द्र अमर जी,
    मेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  149. web hosting india ,
    I am very glad to see your comment on my poem. Hearty thanks.
    Always welcome your comments on my blogs.

    ReplyDelete
  150. देवेन्द्र पाण्डेय जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

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  151. एस एन शुक्ला जी,
    आपको भी रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.

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  152. Manish Kr. Khedawat ji,
    I am very glad to see your comment on my poem. Hearty thanks.
    Always welcome your comments on my blogs.

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  153. आप कम से कम शब्दों में गहरी गहरी बातें समझा देती हैं वह भी प्रेम से प्रेम की ।

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  154. आशा जी.
    यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.
    आपकी सुधी टिप्पणी के लिए आभारी हूं.

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  155. शून्य से सौन्दर्य की अनुभूति एक अदभुत कल्पना है शरद जी..
    साधु साधु
    मुझे आपका ई मेल आई डी दीजिये.. वेबकास्टिंग के लिये

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  156. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  157. bahut sahi hai ,sundar ,swatantrata divas ki dhero badhai .

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  158. स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और ढेर सारी बधाईयां.

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  159. bahut sunder abhivekti.....kam shbdon ki...

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  160. गिरीश"मुकुल" जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक धन्यवाद .

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  161. यशवन्त माथुर जी,
    मेरी कविता को सराहने के लिए हार्दिक आभार।
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....

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  162. ज्योति सिंह जी,
    मेरी कविता को सराहने के लिए हार्दिक आभार।
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....

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  163. कुंवर कुसुमेश जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...

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  164. सुमन जी,
    आपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है... हार्दिक धन्यवाद!

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  165. अद्भुत रचना...बधाई स्वीकारें...यहाँ देर से आने पर क्षमा भी करें.

    नीरज

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  166. It looks like I am very late to comment on it.. but anyways
    brilliantly written as always and with simplicity a great message :)

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  167. नीरज गोस्वामी जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....

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  168. Jyoti Mishra ji,
    I feel honored by your comment.
    Hearty thanks!!!
    You're always welcome.

    ReplyDelete
  169. boletobindas,
    Hearty thanks for your valuable comment !
    You're always welcome.

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  170. बहुत अच्छी रचना है यह मौन अभिव्यक्ति प्रेम की

    कृपया नीचे दिए लिंक पर एक बार दस्तक दें

    MITRA-MADHUR: व्यंगात्मक क्षणिकाएं......

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  171. कृपया नीचे दिए लिंक पर एक बार दस्तक दें

    MITRA-MADHUR: व्यंगात्मक क्षणिकाएं......

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  172. अरुण कुमार निगम जी,
    मेरी कविता को सराहने के लिए हार्दिक आभार।
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....

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  173. नीलकमल वैष्णव जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक धन्यवाद .

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  174. नीलकमल वैष्णव जी,
    आमंत्रण के लिए हार्दिक धन्यवाद .

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  175. डॉ भावना जी,
    यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.
    मेरे ब्लॉग पर फिर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद!

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  176. दिल को छुं गई आपकी रचना !

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  177. इन्द्रनील जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....

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  178. दिल ही दिल की समझे परिभाषा.
    मौन ही बेहतर प्यार की भाषा.

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  179. राहुल पालीवाल जी,
    मेरी कविता को सराहने के लिए हार्दिक आभार।
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....

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  180. शरद जी सही कहा आपने मौन निहारना
    इससे बडी अभिव्यक्ति हो ही नही सकती।
    मेरी रचना मेरी आँखों में पढो
    अवश्य पढिये अच्छी लगेगी।
    धन्यवाद।

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  181. The silent expression of love is amazing and thus the love that is explained by your silence makes you get more deeply in touched with the one you love. Thanks for sharing it here.
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