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23 December, 2020

शंख चटके | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | नवगीत | संग्रह - आंसू बूंद चुए

 

Dr (Miss) Sharad Singh







शंख चटके

   - डाॅ (सुश्री) शरद सिंह


वादियों-सा दर्द मेरा

        शाम से पहले

           घिरता अंधेरा।


रोज़ सूरज 

घूमता है सिर झुकाए

बंद मुट्ठी में 

उजाले को दबाए


टूटता है एक तारा

       फूंकने को सिर्फ़

           अपना ही बसेरा।


शंख चटके

रूठते हैं सब यहां

जिप्पसियों-सा

मन फिरे जाने कहां


अपशकुन का ज्यों इशारा

          स्वस्तिक उल्टा

            हवाओं ने उकेरा।

         --------


(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)

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Shankh Chatke - Dr (Miss) Sharad Singh, Navgeet, By Ansoo Boond Chuye - Navgeet Sangrah















12 comments:

  1. अद्भुत। ।।। उत्सुकता जगाती बेहतरीन रचना।
    पूरी अंश का एक हिस्सा सा।।।।

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    1. इस अमूल्य टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी !!!

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  2. अद्भुत बिम्बों एवं प्रतीकों से युक्त अति सुंदर नवगीत ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार जितेन्द्र माथुर जी !!!

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 24 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. दिव्या अग्रवाल जी,
      मेरे लिए यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि आपने मेरे नवगीत को 'सांध्य दैनिक मुखरित मौन में' में शामिल किया है।
      हार्दिक धन्यवाद आपको!!!
      आभारी हूं।

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ दिसंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. प्रिय श्वेता सिन्हा जी,
      मेरा नवगीत 'पांच लिंकों का आनंद' में शामिल के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार !!!
      यह मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है।

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  5. ख़ूबसूरत रचना मुग्ध करती हुई - -

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    1. हार्दिक धन्यवाद शांतनु सान्याल जी 🌹🙏🌹

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  6. Replies
    1. दिली शुक्रिया सुशील कुमार जोशी जी 🌹🙏🌹

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