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- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
कभी पढ़ो एक स्त्री को
दुर्गा सप्तशती की तरह
तब एहसास होगा 
एक स्त्री में 
देवीत्व का।
कभी देखो एक स्त्री को
मंगलदीप में प्रदीप्त
बाती की तरह
तब दिखेगा रूप
एक स्त्री में 
देवीत्व का।
कभी सोचो एक स्त्री को
अपने पवित्र विचारों 
की तरह
तब महसूस होगा
एक स्त्री में
देवीत्व का।
किसी एक नवरात्रि में
पहचानना सीखो तो
एक स्त्री को
पुरुषवादी चश्मा उतार कर।
तब कहना-
'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः'।।
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यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः'।।
ReplyDeleteनमन
धन्यवाद 🙏
Deleteआपका स्वागत है मेरी ब्लॉग पर 🙏
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 21 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!