tag:blogger.com,1999:blog-4676881664154750429.post5904358856925112648..comments2024-02-25T13:48:52.158+05:30Comments on Sharad Singh: सीने में समुद्र | कविता | डॉ शरद सिंहDr (Miss) Sharad Singhhttp://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-4676881664154750429.post-71319669230683317882021-05-29T19:38:59.900+05:302021-05-29T19:38:59.900+05:30हार्दिक धन्यवाद संगीता स्वरूप जी 🙏
निरन्तर कोशिश...हार्दिक धन्यवाद संगीता स्वरूप जी 🙏<br /><br />निरन्तर कोशिश कर रही हूं ख़ुद को सम्हालने की...आप सबका अपनत्व सबसे बड़ा संबल है...Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676881664154750429.post-26885227510408259112021-05-29T19:37:07.443+05:302021-05-29T19:37:07.443+05:30हार्दिक धन्यवाद भावना वरुण जी 🙏हार्दिक धन्यवाद भावना वरुण जी 🙏Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676881664154750429.post-29140006689943723222021-05-29T18:56:51.213+05:302021-05-29T18:56:51.213+05:30सीने में रहते हैं शेष
अनंत जीवाश्म
जब तक देह में
...सीने में रहते हैं शेष<br />अनंत जीवाश्म<br />जब तक देह में <br />रहती है धड़कन<br />तब तक हहराता है<br />सीने में समुद्र ।<br /><br />ये तो जीवन भर की बात हो गाईऐ । कितना दर्द उमड़ आया है आपके लेखन में । <br />इस दर्द से हाथ पकड़ कर आपको बाहर भी नहीं निकाल सकती । बस कह ही सकती हूँ कि खुद को संभालिये । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4676881664154750429.post-26185368356041816222021-05-29T16:47:14.739+05:302021-05-29T16:47:14.739+05:30वैसे मृत अवशेष समुद्र की गोद में जितने भी हो, वो इ...वैसे मृत अवशेष समुद्र की गोद में जितने भी हो, वो इतना विशाल और जीवन से भरा हुआ है, की उसके पास समय ही नहीं होगा की अवशेषों पर बेवजह ध्यान दे! हाँ, ये बात भी है की जब थम के कुछ देर बैठता होगा समुद्र, तब याद आ जाती होगी उसको इन मृत स्मृतियों की! Bhavana Varunhttps://www.blogger.com/profile/16994306480975943909noreply@blogger.com