31 July, 2020

इक मशाल था जिसका लेखन- डॉ (सुश्री) शरद सिंह, कथासम्राट प्रेमचंद को उनके जन्मदिवस (31 जुलाई) पर समर्पित एक ग़ज़ल

Dr (Miss) Sharad Singh

कथासम्राट प्रेमचंद को उनके जन्मदिवस(31 जुलाई) पर समर्पित एक ग़ज़ल...

कथासम्राट प्रेमचंद को उनके जन्मदिवस (31 जुलाई) पर समर्पित एक ग़ज़ल...- डॉ (सुश्री) शरद सिंह


इक मशाल था जिसका लेखन
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

गोबर, घीसू, माधव, हामिद, होरी एवं धनिया।
प्रेमचंद के जरिए इनसे मिल पाई है दुनिया।

प्रेमचंद ने कथाजगत को वह तबका दिखलाया
जिसका शोषण करते आए सदियों ठाकुर, बनिया

रात पूस की ठंडी हो कर कैसे जलती आई
कैसे बिना दवा दम तोड़े इक ग़रीब की मुनिया

प्रेमचंद ने 'कफ़न' कहानी में यथार्थ लिख डाला
दारूखोरों के घर तड़पे एक अभागी तिरिया

इक मशाल था जिसका लेखन उसको "शरद" नमन है
प्रेमचंद थे भावनाओं के इक सच्चे कांवरिया
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