29 May, 2017

आओ और पूरा पढ़ो .... डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh


आओ और पूरा पढ़ो
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मेरी ज़िन्दगी की किताब के पन्ने
पढ़ने तो शुरू किए  तुमने
पर छोड़ दिए जल्दी ही
एक पन्ने का कोना मोड़ कर
फिर पढ़ने के लिए

क्या तुम्हें पता है?

पीला पड़ने लगा है काग़ज़
कठोर होने लगे हैं उसके रेशे
टूटने को आतुर है वह कोना मुड़े-मुड़े
फड़फड़ा रहे हैं शेष पन्ने
पढ़े जाने के लिए

अब तक यदि बदल गया हो
तुम्हारे चश्मे नंबर और नज़रिया भी
तो आओ और पूरा पढ़ो
क्योंकि किताबें अधूरी नहीं छोड़ी जातीं।

- डॉ. शरद सिंह

 #SharadSingh #Poetry #MyPoetry
#मेरीकविताए_शरदसिंह

मुझको मुझसे ही ... डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

23 May, 2017

इकतारा ... डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh


इकतारा
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ध्वनियां
बहुत कुछ कहती हैं
कभी सार्थक, कभी निरर्थक
मौन पी जाता है सारी ध्वनियों को
छानता है धैर्य की छन्नी से
और अच्छी ध्वनियों को
उंडेल देता है इकतारे पर
तभी तो
इकतारा होता है झंकृत
किसी देह की तरह ...

- डॉ. शरद सिंह

#SharadSingh #Poetry #MyPoetry

अब तो चाहिए... डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

अब तो चाहिए...
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बहुत थकान होती है -
उधार के रिश्तों को जीते हुए
जैसे ओढ़ी हुई मुस्कान
थका देती है होंठों को
गालों को
और आंखों की कोरों को
हां,
बहुत थकान होती है -
जब रिश्तों को जीते हैं
रिश्तों के बिना
जीत की उम्मींद में
फेंके हुए पासों की तरह।

और थक-हार कर
अकसर सोचता है मन
ये ज़िन्दगी थकी-थकी सी है
अनुबंधों के लिबास तले
ओह, अब तो चाहिए एक सुई या पिन
जिससे उधेड़ा जा सके
इस लिबास की सीवन को।
.... - डॉ. शरद सिंह

#SharadSingh #Poetry #MyPoetry

18 May, 2017

मैं ग़ज़ल की एक किताब हूं ... - डॉ शरद सिंह

लम्बी बहर का एक शेर मेरे ग़ज़ल संग्रह ‘‘पतझड़ में भीग रही लड़की’’ से ....
Shayari of Dr (Miss) Sharad Singh

Few lines (a Sher) from my Ghazal collection (poetry book) "Patajhar men bheeg rahi ladaki" ....

11 May, 2017

कोशिश करते तो सही .... डॉ. शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

कोशिश करते तो सही ....
                    - डॉ. शरद सिंह


तुम रखते मेरी हथेली पर
एक श्वेत पुष्प
और वह बदल जाता
मुट्ठी भर भात में
तुम रखते मेरे कंधे पर अपनी उंगलियां
और हो जाती सुरक्षित मेरी देह
तुम बोलते मेरे कानों में कोई एक शब्द
और बज उठता अनेक ध्वनियों वाला तार-वाद्य

सच मानो,
मिट जाती आदिम दूरियां
भूख और भोजन की
देह और आवरण की
चाहत और स्वप्न की

बस,
तुम कोशिश करते तो सही।
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#SharadSingh #Poetry #MyPoetry #Koshish #Try

05 May, 2017

अंदर की आवाज़ .. .- डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

अंदर की आवाज़
             - डॉ शरद सिंह
एक दिन
जब मन की कोमल, महीन ध्वनियां
बदल जाती हैं अनहद नाद में
सोई हुई शिराओं में जाग उठती हैं #ऋचाएं
कंठ हो जाता है सामवेदी
गाने लगता है #प्रयाण-गीत
शब्द फूंकने लगते हैं दुंदुभी
और भुजाएं व्याकुल हो उठती हैं समुद्र-मंथन को
.... और सब कुछ बदल जाता है उसी पल
किसी सुप्त #ज्वालामुखी के फूट पड़ने जैसा
ठीक उसी समय पता चलता है अंदर की आवाज़ का
वह आवाज़ जो गढ़ती है एक नए #इंसान को पुराने इंसान के भीतर

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#InnerVoice #SharadSingh #Poetry #MyPoetry

04 May, 2017

और मैं देखती रहूंगी....- डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

और मैं देखती रहूंगी....

मिलोगे तुम मुझे
एक अरसे बाद
यूं ही अचानक
किसी कॉन्फ्रेंस में, सेमिनार में
या किसी मेट्रो में
बेशक़ सोचा था मैंने!


नहीं सोचा था तो ये...

कि मिलोगे तुम किसी चाय-पार्टी में
मेरी पुरानी सहेली के नए हमसफ़र बन कर
और मैं देखती रहूंगी मूक-दर्शक की तरह
अपने अतीत के पन्नों को फाड़ती हुई ...


- डॉ. शरद सिंह

#MyPoetry
#Miss_Sharad_Singh