23 August, 2013

जो दिल उदास हो ....


15 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

    ReplyDelete
  2. वाकई ऐसा ही होता है, आपने इस भाव को कितनी सहजता और सुंदरता से अभिव्यक्त किया है, यही आपकी अभिव्यक्ति की विशेषता है. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  3. कुछ न भाये, मन थकता जब।

    ReplyDelete
  4. सही बात है जब दिल उदास हो तो सब कुछ उदास लगता है...उत्तम...
    :-)

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर भाव !!

    ReplyDelete
  6. गम और ख़ुशी दोनों का स्रोत दिल ही तो है
    और ये गम और ख़ुशी आँखों से बयाँ हो आती है
    सुन्दर !

    ReplyDelete
  7. भावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति,,,

    ReplyDelete
  8. यह भी एक स्थिति है मन की -विचलित करती सी !

    ReplyDelete
  9. बढ़िया भावपूर्ण अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  10. जो दिल उदास हो , सब कुछ उदास लगता है ,

    नमी हो आँख में ,तो खाब भी सुलगता है।

    न आस हो मिलने की ,प्यार भी खटकता है।

    बहुत सशक्त रचना है। बधाई। विरह चित्र को दो शब्दों में बाँधना -

    हैरत से कम नहीं ,तू मिले न मिले गम नहीं।

    ReplyDelete

  11. एक सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
    latest post आभार !
    latest post देश किधर जा रहा है ?

    ReplyDelete
  12. बेहतरीन नहीं बहुत ही नायाब शब्द और खुबसूरत चित्र का संयोजन

    ReplyDelete
  13. खुबसूरत अभिवयक्ति...... .

    ReplyDelete
  14. आप ग़ज़ल का मतला ही कहती हैं.एक चमक ज़रूर पैदा होती है. इसके बाद शेरों की तलब लगती है उसका क्या.उपरोक्त ग़ज़ल के मतले में बहुत ही मश्हूर बहर आप प्रयोग कर बैठी है.उर्दू की ये संयुक्त बहर है जिसके अरकान मफाइलुन फइलातुन, मफाइलुन फेलुन है, कभी किसी को मुकम्मिल जहा नहीं मिलता. अथवा कहां तो तय था चरागां हरेक घर के लिए. छन्द की इस बारीकी ने अनायास मुझे कुछ कहने को मज़बूर कर दिया.
    एक अरसे के बाद आपकी अंजुमन में आना हुआ.

    ReplyDelete