20 April, 2013

उसे आई नहीं क्या याद घर की बेटियां ?


9 comments:

  1. जिसके मन में यह विचार आएगा वह ऐसा घृणित काम कैसे करेगा ....
    त्वरित न्याय और मृत्युदण्ड ही कारगर उपाय ...

    मर्मस्पर्शी

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  2. बहुत सुंदर शरद जी .....
    अंतर्मन तक छू लेने वाली पंक्तियाँ....

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  3. चरित्र और संवेदन हीनता अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुकी है.

    रामराम.

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  4. मार्मिक ... दिल दहल जाता है ...

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  5. Nahee aati yad ghar kee Betiyana
    Aatee to kyun karta yah nrushans kand.

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