07 July, 2012

सावन के झूले


17 comments:

  1. बहुत ही खुबसूरत सावन में भीगी पंक्तिया....

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  2. बहुत सुन्दर
    मीठे भरे दिन, खुशियों भरी याद हमेशा
    याद रहती है...
    :-)

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  3. वाह ... अनुपम भाव

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  4. सुंदर अभिव्यक्ति ...
    शुभकामनायें

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  5. तो उन्हें कहाँ भूले होंगे......
    :-)
    आते ही होंगे...
    अनु

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  6. अति सुंदर ...
    आभार आपका !

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  7. बहुत सुंदर चित्रमय अभिव्यक्ति,,,,,आभार

    RECENT POST...: दोहे,,,,

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तूति ....!

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  9. पिछले सावन के वो पलछिन मुझे नहीं भूले.....
    भींगे आज इस मौसम में लगी कैसी ये अगन
    बहुत खूब

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  10. सुंदर भावभिव्यक्ति...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  11. प्रशंसनीय....। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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  12. जी.... झूलों की रस्सी कभी-कभी रिश्तों की रस्सी से सख्त होती है... और झूला झूलने का आमंत्रण झूले की रस्सी पर ही नहीं, रिश्तों की रस्सी पर बी निर्भर होता है....।

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